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वैश्य का हिंदुओं की वर्ण व्यवस्था में तीसरा स्थान है। इस वर्ण के लोग मुख्यत: वाणिज्यिक व्यवसाय और कृषि करते हैं। हिंदुओं की जाति व्यवस्था के अंतर्गत वैश्य वर्णाश्रम का तीसरा महत्त्वपूर्ण स्तंभ है। इस वर्ग में मुख्य रूप से भारतीय समाज के किसान, पशुपालक, और व्यापारी समुदाय शामिल हैं। 'वैश्य' शब्द वैदिक 'विश्' से निकला है। अर्थ की दृष्टि से 'वैश्य' शब्द की उत्पत्ति संस्कृत से हुई है, जिसका मूल अर्थ "बसना" होता है। मनु के 'मनुस्मृति' के अनुसार वैश्यों की उत्पत्ति ब्रह्मा के उदर यानि पेट से हुई है। जबकि कुछ अन्य विचारों के अनुसार ब्रह्मा जी से पैदा होने वाले ब्राह्मण, विष्णु से पैदा होने वाले वैश्य, शंकर से पैदा होने वाले क्षत्रिय कहलाए; इसलिये आज भी ब्राह्मण अपनी माता सरस्वती, वैश्य लक्ष्मी, क्षत्रिय माँ दुर्गे की पूजा करते है।
इस वेबसाइट को बनाने का हमारा मुख्य उद्देश्य समाज के बिखरे हुए सभी परिवारों को एकजुट करना है आज हम देख रहे हैं की समाज के सभी लोग चाहे वह किसी भी समुदाय से हों उनमे से ९०% लोग अपने समाज से ही जुड़े रहना चाहते हैं केवल एक वैश्य समाज ही ऐसा समुदाय है जो अपनी समाज के लोगो की नहीं बल्कि अन्य समाज के लोगो का साथ देना चाहता है इसलिय मेरा आपसे अनुरोध है की वैश्य समाज को एक नई दिशा मैं ले जाने का प्रयाश किया जाये और यह सब आप सभी लोगों के बिना संभव नहीं है इसलिए वैश्य समाज के इस वेब पोर्टल मैं अपना पंजीकरण करवा कर पोर्टल को सफल बनाये ! इस अखंडित एवं आस्थाई रूप से बिखरे हुए परिवारों को समाज से एक सूत्र मैं जोड़ने के लिए ! वैश्य समाज की उन सभी इकाईयों को हमारे संपर्क मैं लाने के लिए जो आज की व्यस्तता मैं कही धूमिल हैं ! उन सभी शंकाओं के निवारण के लिए जो कहीं न कहीं हर किसी के मन मैं समाज के प्रति स्थापित हैं !
हम कैसे एक ऐसी सीमा रेखा खींचे जिसके अन्दर हम अपने समाज के लगभग हर परिवार की संभावित सूचना को गठित कर सकें ? इतने बड़े देश मैं ये कैसे संभव होगा की हम उन सभी वैश्य समाज के परिवारों तक पहुँच सकें जो यहाँ वहां बिखरे हैं ?
इन्टरनेट आधुनिक व्यवसाय के लिए एक धुरी है जिस पर आधारित हमारी योजना का मुख्य उद्देश्य वैश्य समाज के उन सभी लोगों की जानकारी रखने और क्षेत्र मैं सूचना को लागू करने से मिलते जुलते कारोबार की सुविधा प्रदान करना है ! वैश्य समाज की सदस्यता लेने और वैवाहिक उद्देश्य के लिए एक ही मंच का उपयोग करना है!
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It is a long established fact that a reader will be distracted by the readable content
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विश्व के पालन का भार श्री विष्णु को विश्व रचना का भार श्री ब्रह्मा जी को तथा संहार का भार श्री शिव जी को सौपा गया। आज विश्व की अधिकांश प्रजातियाँ कश्यप मुनि की सन्ताने हैं। वैश्य समाज भी महर्षि कष्यप ऋषि की सन्तान है अतः हम लोग अपने को कष्यप गोत्र में पैदा होना मानते हैं।
NEW DELHI: A conman who allegedly duped women with fake profiles on matrimonial sites has been arrested
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